मैंने अपनी भलाई के लिए जो सोची है, वही भलाई आप लोगों के लिए भी चाहता हूं। मैंने बहुत वर्षों तक सोचा, तो यह दृढ़ हो गया कि संतों के ज्ञान में जो मंगल है वही असली मंगल है। इस मंगल के लिए भजन सत्संग करते रहें। @@@
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जो भजन सत्संग करते रहेंगे, उनको खाने, दाने और कपड़े की कमी नहीं रहेगी। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि आपलोग सुखी रहें।
-सद्गुरु महर्षि मेंहीं ता. 22-05-1967ई.